दिव्य आध्यात्मिक वातावरण में हुआ आदिगुरु की मूर्ति स्थापना हेतु भूमिपूजन
खण्डवा, 22 जनवरी 2018 - शंखघोष, वैदिक मंत्रोच्चार और देश के विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक उपस्थिति में आज ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति स्थापना हेतु भूमिपूजन किया गया। कावेरी और पुण्यसलिला नर्मदा के मध्य ओंकार पर्वत में वेदपाठी संतों ने वसंत पंचमी की पावन बेला में माँ सरस्वती के वरदपुत्र भगवान शंकराचार्य की मूर्ति स्थापना के बड़े संकल्प को धरातल पर आकार दिया। वैदिक मंत्रोच्चारों की दिव्यता से प्रांगण अभिभूत हो उठा, जब डमरू, शंख और पखावज की मिश्रित ध्वनि से संपूर्ण वांग्मय गुंजित हुआ। छाऊ नर्तकों ने अपने वाद्यों के साथ ईश स्तुति प्रस्तुत की। पृष्ठ भूमि में मंत्र गुंजित होते रहे। बंगाल से आये वहाँ की संस्कृति के प्रतिनिधि नर्तकों ने गर्जना के साथ माँ दुर्गा और काली के वैविध्य पूर्ण स्वरूपों की प्रस्तुति दी। ओम के निनाद से भरा मंडप शंकराचार्य के पाँचवी शताब्दी में विरचित भजन, भजगोविंद्म भजगोविंद्म मूढ़मते से अलौकिक पूर्णता को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में शैव परम्परा के वाहक, संतगण उपस्थित थे।
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