AAPKI JIMMEDARI

AAPKI JIMMEDARI

Tuesday 12 December 2017

पवन के घर में अब चहकने लगी है दोनों बच्चों की आवाज

पवन के घर में अब चहकने लगी है दोनों बच्चों की आवाज
‘‘मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना‘‘ से भरत और प्रतिज्ञा अब बोलने व सुनने लगे 


खण्डवा 12 दिसम्बर, 2017 - खण्डवा जिले के छैगांवमाखन विकासखंड के ग्राम बंजारी में रहने वाले किसान श्री पवन के घर में एक बेटा भरत व एक बेटी प्रतिज्ञा होने के बावजूद घर में बच्चों की किलकारियां नहीं गूंज पाई, क्योंकि दोनों ही बच्चे न सुन सकते थे न बोल सकते थे। पवन बताता है कि गांव के लोगों ने उसे बताया कि उसके बच्चों का इलाज बहुत महंगा होगा। अपनी छोटी से खेती के धंधे में वह इतना महंगा इलाज नहीं करा सकता था। एक दिन गांव में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत पवन के दोनों बच्चों ‘‘भरत‘‘ और ‘‘प्रतिज्ञा‘‘ का निःषुल्क प्रारंभिक स्वास्थ्य परीक्षण सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने किया। उनकी सिफारिष पर मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना में भरत व प्रतिज्ञा के पिता पवन को कॉकलियर इम्प्लांट कराने की सलाह दी गई, जिसका अनुमानित खर्च 6.50 लाख रू. प्रति ऑपरेशन यानी दोनों बच्चों के उपर लगभग 13 लाख रू. खर्च बताया गया। इंदौर के अरबिंदो हॉस्पिटल में मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के तहत सरकारी खर्चे पर हुए उपचार के बाद दोनों बच्चे अब बोलने व सुनने लगे है और बाल श्रवण योजना की मदद से पवन के घर में भी अब बच्चों की आवाज चहकने लगी है। 
      पवन बताता है कि कुछ माह पूर्व गांव की आंगनवाड़ी में स्वास्थ्य विभाग के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत डॉ. अभिषेक मिश्रा, डॉ. आयशा खान ने दोनों बच्चों भरत और प्रतिज्ञा के स्वास्थ्य की  प्रारम्भिक जॉंच की और बताया कि यदि इलाज कराया जाये तो दोनों बच्चे सुनने और बोलने में समर्थ है। पवन ने तुरंत जिला अस्पताल के नाक कान गला विशेषज्ञ डॉ. अनिरूद कौशल से सलाह की और डॉ. कौशल ने आवश्यक जांच हेतु बच्चों को रेफर करा दिया गया, साथ ही दोनों बच्चों को मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना अंर्तगत आवेदन करवाया गया। बच्चों को इंदौर के श्री अरबिंदो अस्पताल में आवश्यक जाचं  के लिए भिजवाया गया। जहां उनकी समस्त जांचे निःशुल्क की गई, तथा उन्हें कॉकलियर इम्प्लांट करने की सलाह दी गई। सम्पूर्ण जांच व एस्टिमेट व अन्य कागजी कार्यवाही करवाने के बाद बच्चों का प्रकरण मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के अनुमोदन के बाद क्षैत्रिय संचालक इंदौर की संभागीय समिति को भेजकर उनके व्दारा दोनों बच्चों के प्रकरण स्वीकृत कराया गया। जिससे दोनों बच्चों के ऑपरेशन के लिए प्रथम किस्त रू. 10 लाख 40 हजार की राशि संबंधित अस्पताल को जारी की गई और अस्पताल व्दारा बच्चों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। ऑपरेषन के बाद उनके पिता श्री पवन के जीवन में पहली बार वो खुशी आई जिसके लिए वो बरसो से तरस रहे थे। कुछ दिनों  की स्पीच थरेपी के बाद आज पवन के दोनों बच्चे बोल भी सकते है और सुन भी सकते है।        

No comments:

Post a Comment