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Tuesday 19 December 2017

वेदान्त दर्शन के अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र के रूप में विकसित होगा ओंकारेश्वर - संस्कृति राज्यमंत्री श्री पटवा

वेदान्त दर्शन के अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र के रूप में विकसित होगा ओंकारेश्वर - संस्कृति राज्यमंत्री श्री पटवा
षंकराचार्य की धातु प्रतिमा के लिए अपनी-अपनी क्षमता अनुसार योगदान दें - सांसद श्री चौहान
संतगणों की उपस्थिति में ओंकारेष्वर में ‘एकात्म यात्रा‘ का हुआ शुभारम्भ 





खण्डवा 19 दिसम्बर, 2017 - ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊॅंचाई की प्रतिमा स्थापित करने तथा वेदांत दर्षन के प्रति जनजागरण के लिए प्रदेष के चार तीर्थ स्थानों उज्जैन, पचमंठा रीवा, अमरकंटक के साथ साथ ओंकारेष्वर से आज एकात्म यात्रा प्रारंभ हुई। ओंकारेष्वर से आज एकात्म यात्रा को पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा, सांसद श्री नंदकुमार सिंह चौहान ने स्वामी ज्ञानानंद जी, स्वामी विवेकानन्द जी, स्वामी प्रणवानंद जी, संविद सोमगिरी महाराज, स्वामी षिवोहम भारती, श्री हनुमानदास जी महाराज, क्षेत्रीय विधायक श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर, पंधाना विधायक श्रीमती योगिता बोरकर, मध्यप्रदेष जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पाण्डेय की उपस्थिति में विधिवत रवाना किया। इस अवसर पर संस्कृति मंत्री श्री पटवा व सांसद श्री चौहान ने धर्म ध्वजा उपस्थित संतजनों को सौंपी। उल्लेखनीय है कि अष्टधातु की प्रतिमा के लिए प्रदेष के सभी ग्रामों से धातु एवं गांव की मिट्टी संग्रहण के लिए आज प्रारंभ यह एकात्म यात्रा प्रदेष के सभी जिलों से होते हुए 22 जनवरी को ओंकारेष्वर में सम्पन्न होगी। 
संस्कृति राज्यमंत्री श्री पटवा ने कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कहा कि ओंकारेष्वर को वेदांत दर्षन के अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र के रूप में विकसित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि ओंकारेष्वर का महत्व ज्योतिर्लिंग के साथ साथ आदि शंकराचार्य द्वारा यहां दीक्षा लिये जाने कारण भी है। श्री पटवा ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी संतजनों से आग्रह किया कि एकात्म यात्रा के दौरान वे मार्गदर्षन देते रहे। संस्कृति राज्यमंत्री श्री पटवा ने इस दौरान उपस्थित नागरिकों को भारतीय संस्कृति की रक्षा का संकल्प भी दिलाया। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा जगद्गुरू आदि शंकराचार्य के चित्र पर माल्यार्पण कर तथा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस दौरान अतिथियों ने उपस्थित कन्याओं का चरण पूजन भी किया। कार्यक्रम में भोपाल के ध्रुवा संस्कृत बैंड द्वारा आव्हान गीत की आकर्षक प्रस्तुति दी गई तथा आर्ट ऑफ लिविंग संस्था की प्रख्यात भजन गायिका सुश्री चित्रा राय ने इस दौरान मनभावन भजन प्रस्तुत किये।
सासंद श्री नंदकुमार सिंह चौहान ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि लगभग 1200 वर्ष पूर्व आदि शंकराचार्य ने देष व समाज को जोड़ने के लिए पूरे देष की पदयात्रा की। अपने 32 वर्ष के छोटे से जीवनकाल में आदि शंकराचार्य ने बद्रीनाथ , रामेष्वरम्, जगन्नाथपुरी व द्वारकापुरी मंे चार मठों की स्थापना की। इस दौरान शंकराचार्य जी ओंकारेष्वर भी आये थे और उन्होंने नर्मदातट पर नर्मदाष्टक की रचना की थी। सासंद श्री चौहान ने इस अवसर पर कहा कि ओंकारेष्वर में शंकराचार्य गुफा के सौदर्यीकरण का कार्य शीघ्र ही प्रारंभ होगा। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य की 108 फीट उॅंची धातु प्रतिमा निर्माण के लिए कोई एक छोटी सी कील भी दान देना चाहे तो उसका स्वागत है। जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पाण्डेय ने एकात्म यात्रा की रूपरेखा पर विस्तार से प्रकाष डाला। 
स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि हमारा देष हजारों वर्ष पूर्व जगद्गुरू रहा है। सैकड़ों वर्ष की गुलामी के बाद भी देष कभी संत विहीन नहीं रहा। देष को हमेषा विद्वान संतों का मार्गदर्षन मिलता रहा है। उन्होंने कहा कि आज फिर हमारा देष जगद्गुरू बनने की स्थिति में है। हमारी संस्कृति व सभ्यता को दूसरे देष भी सम्मान की नजर से देख रहे है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का मनाया जाना, यूनेस्को द्वारा कुम्भ के मेले को विष्व की सबसे बड़ी सांस्कृतिक विरासत के रूप में स्वीकार किया जाना, राम सेतु की प्रामाणिकता को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा स्वीकारा जाना इस बात का प्रमाण है। स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि देष सांस्कृतिक व धार्मिक रूप से एक रखने में आदि शंकराचार्य के एक हजार वर्ष पूर्व के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। स्वामी ज्ञानानंद जी ने कहा कि एकात्म यात्रा जीव , जगत व जगदीष्वर की एकता की प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भौतिकवाद के प्रभाव से सुविधाएं तो बड़ी है लेकिन लोगों की क्षमताएं कम हुई है तथा जीवन में तनाव व अषांति बढ़ी है। 
स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि आदि शंकराचार्य ने समाज को आज से 1200 वर्ष पूर्व जो दिया, समाज उस ऋण को कभी चुका नहीं सकता। एकात्म यात्रा के माध्यम से हम आदि शंकराचार्य को श्रद्धांजलि अवष्य दे सकते है। स्वामी विवेकानंदपुरी महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि आदि शंकराचार्य ने आज से 1200 वर्ष पूर्व अपने गुरू गोविंदपाद जी से आज्ञा लेकर एकात्म यात्रा प्रारंभ की थी तथा कुल 32 वर्ष के अपने जीवनकाल में उन्होंने पूरे देष की 3 बार यात्रा पूर्ण की। उन्होंने कहा कि प्रदेष के मुख्यमंत्री श्री षिवराज सिंह चौहान द्वारा एकात्म यात्रा आयोजन करने का निर्णय अत्यन्त सराहनीय है। देष के सभी साधु संत इस यात्रा से बहुत खुष है। बीकानेर से आये संत स्वामी सोमगिरी महाराज ने इस अवसर पर कहा कि केरल की पूर्णा नदी के किनारे रहने वाले आदि शंकराचार्य ने आज से हजार वर्ष पूर्व देष की एकता के लिए एकात्म यात्रा की थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा आज से प्रारंभ एकात्म यात्रा से भी प्रदेष में अद्वैत वेदान्त दर्षन का प्रचार-प्रसार होगा।

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