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Thursday 14 December 2017

महिलाओं व बालिकाओं के संरक्षण की दिषा में नया कानून अत्यंत सराहनीय

महिलाओं व बालिकाओं के संरक्षण की दिषा में नया कानून अत्यंत सराहनीय
उत्कृष्ट विद्यालय की छात्राओं ने प्रदेष सरकार की पहल पर दी प्रतिक्रियाएं

खण्डवा 14 दिसम्बर, 2017 - मध्यप्रदेश विधानसभा में सर्वसम्मति से गत दिनों बलात्कारियों व दुराचारियों को मृत्यु दण्ड से दण्डित करने संबंधी कानून दण्ड विधि (म.प्र. संशोधन) विधेयक-2017 पारित होने का खण्डवा के रायचंद नागड़ा शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्राओं ने सर्वसम्मति से महिलाओं और बेटियों ने शासन के इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया है। विद्यालय की छात्राओं ने एकमत से शासन के इस निर्णय को सही बताते हुए इसे शीघ्रता से पूरे देष व प्रदेष में लागू कराने की मांग की। 
उत्कृष्ट विद्यालय खण्डवा की कक्षा 11वी की छात्रा कुमारी नेहा कोचले ने इस नए कानून पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में कानून में यह बदलाव बेहद जरूरी हो गया था। सरकार की यह पहल सराहनीय है। नेहा कहती है कि महिलाओं की आबरू और आत्म-सम्मान को चोट पहुँचाने वाले और दूषित मानसिकता के ऐसे अपराधियों के लिए फाँसी की सजा ही सबसे बेहतर विकल्प है ताकि कोई दूसरा व्यक्ति ऐसा अपराध करने के पहले सौ बार सोचे। नेहा कहती है कि प्रदेष सरकार पहले से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के लक्ष्य पर कार्य कर रही है, अब बेटियों के संरक्षण के लिए सरकार की यह नई पहल अत्यन्त सराहनीय है। विद्यालय की कक्षा 11वी की ही एक अन्य छात्रा नेहा बरखने का मानना है कि समाज मंे महिलाओं को बुरी नजर से देखने वाले अपराधियों के कारण महिलाएं बेटियां अपने आपको असुरक्षित महसूस करती है तथा बाजार में अकेले जाने में भी डरती है। नेहा बरखने का कहना है कि प्रदेष सरकार तो सख्त कानून लागू कराने जा ही रही है, अब न्यायालय को भी चाहिए कि कानून लागू होने के बाद दुष्कर्म के मामलो में कम से कम समय में सुनवाई पूरी करते हुए इन अपराधियों को शीघ्रता से सख्त दण्ड दिए जायंे। 
उत्कृष्ट विद्यालय की छात्रा कु. विधि सातले का मानना है कि वर्तमान में महिला अपहरण व दुराचार व दुष्कर्म जैसे अपराधों की संख्या बहुत अधिक तेजी से बढ़ रही है। इन बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए प्रदेष सरकार द्वारा सही समय पर सही कदम उठाया गया है। एक अन्य छात्रा कु. उर्मिला पटेल का कहना है कि समाचार पत्रों के माध्यम से बलात्कार की खबरें पढ़कर महिलाओं व बालिकाओं की रूह काँप जाती है। बलात्कारियों को न्यायालय द्वारा कम से कम समय में अधिक से अधिक सख्त दण्ड दिया जाना चाहिए। प्रदेष सरकार द्वारा दुराचार व दुष्कर्म के लिए मृत्युदण्ड का प्रावधान किया जाना, महिलाओं एवं बालिकाओं के हित में उठाया गया अत्यन्त सराहनीय कदम है। कक्षा 10वी की छात्रा कु. षिवानी खाण्डे का मत है कि दुष्कर्म के बाद पीडि़त महिला तो जीते जी ही एक तरह से मर जाती है, क्योंकि समाज में भी उसे बुरी नजर से देखा जाता है। अतः प्रदेष सरकार द्वारा दुराचार व दुष्कर्म के अपराधियों को मृत्युदण्ड दिए जाने के निर्णय की जितनी प्रषंसा की जाये उतनी कम है। कक्षा 12वी की छात्रा कु. तसमिया खान ने बलात्कार जैसे महापाप के लिए प्रदेष सरकार द्वारा मृत्युदण्ड दिए जाने के प्रावधान को लागू कराने की पहल का स्वागत किया है। उसका कहना है कि बलात्कार जैसे घृणित अपराध करने वालो को समाज में रहने का कोई हक नहीं है। न्यायालय द्वारा ऐसे अपराधियों को तत्काल फांसी दी जाना चाहिए। 
 उल्लेखनीय है कि यह विधेयक अभी राष्ट्रपति की पास भेजा जायेगा। राष्ट्रपति के मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून की शक्ल लेगा। इस संशोधन विधेयक के द्वारा दुष्कर्म से संबंधित आईपीसी की धारा-376 में नई धाराएं जोड़ी गई हैं जिसमें मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है। इसमें 12 वर्ष की कम उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म के मामले में फाँसी की सजा का प्रावधान है। छात्राओं, युवतियों और महिलाओं से अभद्रता करना, उन्हें घूरने या पीछा कर छेड़छाड करने वालों तथा सोशल नेटवर्किंग साइट पर अश्लील टिप्पणी करने वालों पर कारावास की सजा के साथ एक लाख रुपये तक के अर्थदण्ड का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, इस संशोधन विधेयक में विवाह का प्रलोभन देकर ज्यादती करने वाले आरोपी को तीन साल की सजा का प्रावधान नई धारा में जोड़कर किया जा रहा है।   

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